107 सूरए माऊन का अनुवाद

शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है।

1-क्या तुमने क़ियामत को झुटलाने वाले (इंसान) को देखा।

2-वह वही है जो यतीम को (गुस्से के साथ) भगा देता है।

3-और यतीमो (अनाथों) को खाना खिलाने के लिए दूसरे लोगों को तशवीक़(प्रोतसाहित) भी नही करता।

4-वाय (धिक्कार) हो ऐसे नमाज़ीयों पर।

5-जो अपनी नमाज़ों को पढ़ने मे सुस्ती करते हैं।

6-जो दिखावा करते हैं अर्थात दूसरों को दिखाने के लिए नमाज़ पढ़ते हैं।

7-और दूसरों को जिंदगी के ज़रूरी समान देने से मना करते हैं।