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इस्लामी रिवायतों की बिना पर क़ुरआने मजीद की बे शुमार आयतें अहले बैत अलैहिम अस्सलाम के फ़ज़ाइल व मनाक़िब के गिर्द घूम रही हैं और इन्हीं मासूम हस्तियों के किरदार के मुख़्तलिफ़ पहलुओं की तरफ़ इशारा कर रही हैं। बल्कि कुछ रिवायतों की बिना पर पूरे कुरआन का ताल्लुक़ इनके मनाक़िब, इनके मुख़ालिफ़ों के नक़ाइस, इनके आमाल व किरदार और इनकी सीरत व हयात के आईन व दस्तूर से है। लेकिन यहाँ पर सिर्फ़ उन्हीं आयतों की तरफ़ इशारा किया जा रहा है जिनके शाने नुज़ूल के बारे में आलमे इस्लाम के आम मुफ़स्सिरों ने भी इक़रार किया है कि इनका नुज़ूल अहले बैते अतहार के मनाक़िब या उनके मुख़ालिफ़ों के नक़ाइस के सिलसिले में हुआ है।
उलमा-ए-हक़ ने इस सिलसिले में बड़ी बड़ी किताबें लिखी हैं और मुकम्मल तफ़सील के साथ आयात व उनकी तफ़्सीर का तज़करा किया है। हम यहाँ पर उसका सिर्फ़ एक हिस्सा ही पेश कर रहे हैं ।
बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम
1- “وَكَذَلِكَ جَعَلْنَاكُمْ أُمَّةً وَسَطًا لِّتَكُونُواْ شُهَدَاء عَلَى النَّاسِ”(बक़रा 144)
उम्मते वसत हम अहले बैत हैं।(अमीरूलमोमीनीन(अ))(शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 92)
2- “فَمَنْ حَآجَّكَ فِيهِ مِن بَعْدِ مَا جَاءَكَ مِنَ الْعِلْمِ فَقُلْ تَعَالَوْاْ نَدْعُ أَبْنَاءَنَا وَأَبْنَاءَكُمْ”(आले इमरान 62)
यह आयत मुबाहेले के मौक़े पर अहलेबैत की शान में नाज़िल हुई है।(तफ़सीरे जलालैन, सहीय मुस्लिम किताब फ़ज़ाएलुस सहाबा, ग़ायुम मराम पेज 300 वग़ैरह।)
3- “وَمَن يَعْتَصِم بِاللّهِ فَقَدْ هُدِيَ إِلَى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيمٍ”(आले इमरान 101)
अली(अ) उनकी ज़ौजा और उनकी औलाद हुज्ज्ते ख़ुदा है। इनसे हिदायत हासिल करने वाला सिराते मुस्तक़ीम की तरफ़ हिदायत पाने वाला है।(रसूले अकरम(स))(शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 58)
4- “وَاعْتَصِمُواْ بِحَبْلِ اللّهِ جَمِيعًا وَلاَ تَفَرَّقُواْ”(आले इमरान 104)
(بِحَبْلِ اللّهِ) से मुराद हम अहले बैत(अ) हैं।(इमाम सादिक़(अ))( शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 131)
5- “يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُواْ أَطِيعُواْ اللّهَ وَأَطِيعُواْ الرَّسُولَ وَأُوْلِي الأَمْرِ مِنكُمْ”(निसा 60)
(وَأُوْلِي الأَمْرِ) से मुराद आईम्मा ए अहले बैत हैं।(इमाम जाफ़र सादिक़(अ))( यनाबीऊल मवद्दत पेज 194)
6- “وَلَوْ رَدُّوهُ إِلَى الرَّسُولِ وَإِلَى أُوْلِي الأَمْرِ مِنْهُمْ لَعَلِمَهُ الَّذِينَ يَسْتَنبِطُونَهُ مِنْهُمْ”(निसा 84)
(وَأُوْلِي الأَمْرِ) से मुराद आईम्मा ए अहले बैत हैं।(इमाम मुहम्मद बाक़िर, इमाम जाफ़र सादिक़(अ))( यनाबीऊल मवद्दत पेज 321)
7- “يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُواْ اتَّقُواْ اللّهَ وَكُونُواْ مَعَ الصَّادِقِينَ”(तौहा 119)
(सादिक़ीन मुहम्मद व आले मुहम्मद(अ) हैं।(इब्ने उमर) (ग़ायतुल मराम पेज 148)
8- “بَقِيَّةُ اللّهِ خَيْرٌ لَّكُمْ”(हूद 86)
(بَقِيَّةُ اللّهِ) क़ाएमे आले मुहम्मद की हस्ती है।(इमाम मुहम्मद बाक़िर(अ)(नुरूल अबसार पेज 172)
9- “أَلَمْ تَرَ كَيْفَ ضَرَبَ اللّهُ مَثَلاً كَلِمَةً طَيِّبَةً كَشَجَرةٍ طَيِّبَةٍ”(इब्राहीम 25)
(شَجَرةٍ) ज़ाते पैग़म्बर है। फ़रअ अली हैं। शाख़ फ़ातेमा ज़हरा हैं। और समरात हज़राते हसनैन हैं।(इमाम मुहम्मद बाक़िर(अ)( शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 311)
10- “فَاسْأَلُواْ أَهْلَ الذِّكْرِ إِن كُنتُمْ لاَ تَعْلَمُونَ”(नहल 44)
(أَهْلَ الذِّكْرِ) हम अहले बैत हैं।(इमाम मुहम्मद बाक़िर(अ)(जामेऊल बयान फ़ी तफ़सीरिल क़ुरआन जिल्द 14 पेज 108)
11- “وَآتِ ذَا الْقُرْبَى حَقَّهُ”(इसरा 27)
(ذَا الْقُرْبَى) से मुराद हम अहलेबैत है।(इमाम ज़ैनुल आबेदीन)(ग़ायतुम मराम पेज 323)
12- “يَوْمَ نَدْعُو كُلَّ أُنَاسٍ بِإِمَامِهِمْ”(इसरा 71)
आईम्मा ए हक़ अली औलादे अली(अ) हैं।(इब्ने अब्बास)(ग़ायतुल मराम पेज 272)
13- “وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِي الزَّبُورِ مِن بَعْدِ الذِّكْرِ أَنَّ الْأَرْضَ يَرِثُهَا عِبَادِيَ الصَّالِحُونَ”(अंबीया 105)
यह क़ाएमे आले मुहम्मद और उनके असहाब हैं।(सादिक़ैन(अ)( यनाबीऊल मवद्दत पेज 510)
14- “ذَلِكَ وَمَن يُعَظِّمْ شَعَائِرَ اللَّهِ فَإِنَّهَا مِن تَقْوَى الْقُلُوبِ”(हज 33)
(شَعَائِرَ اللَّهِ) हम अहले बैत हैं।(अमीरूल मोमीनीन(अ)(यनाबीऊल मवद्दत)
15- “لِيَكُونَ الرَّسُولُ شَهِيدًا عَلَيْكُمْ وَتَكُونُوا شُهَدَاءَ عَلَى النَّاسِ”(हज 78)
यह आयत रसूले अकरम और आईम्मा औलादे रसूल के बारे में है।(अमीरूल मोमीनीन(अ)( ग़ायतुल मराम पेज 265)
16- “فَإِذَا نُفِخَ فِي الصُّورِ فَلَا أَنسَابَ بَيْنَهُمْ يَوْمَئِذٍ وَلَا يَتَسَاءَلُونَ”(मोमीनून 102)
रोज़े क़यामत मेरे हसब व नसब के अलावा सारे हसब व नसब मुनक़ता हो जायेगें।(रसूले अकरम)( शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 407)
17- “…….مَثَلُ نُورِهِ كَمِشْكَاةٍ فِيهَا مِصْبَاحٌ”(नूर 35)
(مِشْكَاةٍ) जनाबे फ़ातेमा, مِصْبَاحٌ हसनैन, شَجَرَةٍ مُّبَارَكَةٍ हज़रते इब्राहीम, نُّورٌ عَلَى نُور) इमाम बादा इमाम हैं, (इमाम अबुल हसन)( ग़ायतुल मराम पेज 315)
18- “وَعَدَ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا مِنكُمْ وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَيَسْتَخْلِفَنَّهُم فِي الْأَرْضِ”(नूर 56)
इन हज़रात से मुराद अहले बैते ताहेरीन हैं।(अब्दुल्लाह इब्ने मुहम्मद अल हनफ़ीया)( शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 413)
19- “وَالَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا”(फ़ुरक़ान 74)
अज़वाज ख़दीजा, ज़ुर्रियत फ़ातेमा, क़र्रातुलऐन हसनैन और इमाम हज़रत अली है।(शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 416)
20- “وَنُرِيدُ أَن نَّمُنَّ عَلَى الَّذِينَ اسْتُضْعِفُوا فِي الْأَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ أَئِمَّةً وَنَجْعَلَهُمُ الْوَارِثِينَ”(क़सस 6) यह सिलसिला ए इमामत है जो ता क़यामत बाक़ी रहने वाला है।(इमाम जाफ़रे सादिक़)( शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 430)
21- “وَجَعَلْنَا مِنْهُمْ أَئِمَّةً يَهْدُونَ بِأَمْرِنَا لَمَّا صَبَرُوا وَكَانُوا بِآيَاتِنَا يُوقِنُونَ”(सजदा 25)
अल्लाह ने औलादे हारून में 12 क़ाएद क़रार दिये थे और औलादे अली(अ) में 11 इमाम बनाये हैं। जिससे कुल 12 हो गये।(इब्ने अब्बास)( शवाहिदुत तनज़ील जिल्द 1 पेज 455)
22- “إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ لِيُذْهِبَ عَنكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ وَيُطَهِّرَكُمْ تَطْهِيرًا”(अहज़ाब 34)
यह आयत अली व फ़ातेमा व हसनैन और रसूले अकरम की शान में नाज़िल हुई है।(उम्मे सलमा)(फ़ज़ाएलुल ख़मसा जिल्द 2 पेज 219)
23- “إِنَّ اللَّهَ وَمَلَائِكَتَهُ يُصَلُّونَ عَلَى النَّبِيِّ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا صَلُّوا عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا تَسْلِيمًا”(अहज़ाब 57)
मेरे साथ अहलेबैत पर सलावात ज़रूरी है।(रसूले अकरम)(तफ़सीरे मराग़ी जिल्द 22 पेज 34)
24- “قُلْ مَا سَأَلْتُكُم مِّنْ أَجْرٍ فَهُوَ لَكُمْ”(सबा 48)
अजरे रिसालत से मुराद मुहब्बते अहले बैत है जिससे तमाम अवलिया ए ख़ुदा की मुहब्बत पैदा होती है।(इमाम मुहम्मद बाक़िर(अ)(यनाबीऊल मवद्दत 512)
25- “وَقِفُوهُمْ إِنَّهُم مَّسْئُولُونَ”(साफ़ात 25)
रोज़े क़यामत सबसे पहले मरहले पर मुहब्बते अहलेबैत के बारे में सवाल किया जायेगा।(रसूले अकरम)(ग़ायतुल मराम पेज 259)
26- “سَلَامٌ عَلَى إِلْ يَاسِينَ”(साफ़ात 131)
(إِلْ يَاسِينَ) आले मुहम्मद हैं।(इब्ने अब्बास)( ग़ायतुल मराम पेज 382)
27- “إِلَى يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُومِ”(साद 82)
(يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُوم) रोज़े ज़हूरे क़ाएमे आले मुहम्मद है।(इमाम जाफ़र सादिक़(अ)( यनाबीऊल मवद्दत पेज 509)
28- “قُل لَّا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ أَجْرًا إِلَّا الْمَوَدَّةَ فِي الْقُرْبَى”(शूरा 24)
(الْقُرْبَى) मुरसले आज़म के क़राबत दार हैं।(सईद इब्ने जबीर)(फ़ी ज़िलालिल क़ुरआन जिल्द 7 और दूसरी बहुत सा किताबें)
29- “وَبِالْأَسْحَارِ هُمْ يَسْتَغْفِرُونَ”(ज़ारियात 19)
यह आयत अली, फ़ातेमा और हसनैन के बारे में नाज़िल हुई है।(इब्ने अब्बास)(शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 195)
30- “مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ”(रहमान 20)
(الْبَحْرَيْنِ) अली व फ़ातेमा(اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ) हसन व हुसैन हैं।(इब्ने अब्बास) (दुर्रे मनसूर जिल्द 6 पेज 142)
31- “وَالسَّابِقُونَ السَّابِقُونَ”(वाक़ेया 11)
यह अली(अ) और उनके शिया हैं।(रसूले अकरम(स)(शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 216)
32- “وَأَصْحَابُ الْيَمِينِ مَا أَصْحَابُ الْيَمِينِ”(वाक़ेया 28)
हम और हमारे शिया असहाबे यमीन हैं।(इमाम बाक़िर(अ)( शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 293)
33- “هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَى وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُونَ”(सफ़ 10)
इसका मिसदाक़ ज़हूरे क़ाएम के वक़्त सामने आयेगा।(इमाम जाफर सादिक़(अ)( यनाबीऊल मवद्दत पेज 508)
34- “إِنَّ هَذِهِ تَذْكِرَةٌ فَمَن شَاءَ اتَّخَذَ إِلَى رَبِّهِ سَبِيلًا”(मुज़म्म्ल 20)
जिसने मुझसे और मेरे अहलेबैत से तमस्सुक किया उसने ख़ुदा का रास्ता इख़्तेयार कर लिया।(रसूले अकरम(स))(सवाएक़े मोहरेक़ा पेज 90)
35- “.............هَلْ أَتَى عَلَى الْإِنسَانِ حِينٌ مِّنَ الدَّهْرِ لَمْ يَكُن شَيْئًا مَّذْكُورًا”(दहर 1- 32)
यह सूरह अहलेबैत की शान में नाज़िल हुआ है।(और साएल जिबरईल थे जिनके ज़रीये क़ुदरत ने अहलेबैत का इम्तेहान लिया था।)(इब्ने अब्बास)( तफ़सीरे क़ुरतुबी, ग़ायतुल मराम पेज 368)
36- “وَوَالِدٍ وَمَا وَلَدَ”(बलद 3)
अली(अ) और औलादे अली मुराद हैं।(इमाम मुहम्मद बाक़िर(अ)( शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 331)
37- “..........وَالشَّمْسِ وَضُحَاهَا”(शम्स 1-4)
(َالشَّمْسِ) रसूले अकरम,( الْقَمَرِ) अली,( النَّهَارِ) हसनैन (اللَّيْلِ) बनी ऊमय्या हैं।(इब्ने अब्बास)( शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 333)
38- “وَالتِّينِ وَالزَّيْتُونِ”(तीन 1-8)
(وَالتِّينِ وَالزَّيْتُونِ) हसन व हुसैन, (وَطُورِ سِينِينَ) अमीरूल मोमीनीन(अ) (الْبَلَدِ الْأَمِينِ) रसूले अकरम(स) हैं।(इमाम मूसा काज़िम(अ)( शवाहीदुत तनज़ील)
39- “إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ أُوْلَئِكَ هُمْ خَيْرُ الْبَرِيَّةِ”(बय्येना 8-9)
आले मुहम्मद(خَيْرُ الْبَرِيَّةِ) हैं।(रसूले अकरम(स)( शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 364)
40- “إِنَّا أَعْطَيْنَاكَ الْكَوْثَرَ”(कौसर 1)
कौसर हम अहलेबैत की मंज़िले जन्नत का नाम है।(रसूले अकरम(स)( शवाहीदुत तनज़ील जिल्द 2 पेज 376)